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अरे रामा रिमझिम पड़त फुहार Are Rama Rimjhim Padat Fuhar---Bhojpuri Kajari Lyrics

A woman gets angry seeing Sawan's Ruth. She tells her friend that O Sakhi, the rain showers are looking very pleasing in the seaso...




A woman gets angry seeing Sawan's Ruth. She tells her friend that O Sakhi, the rain showers are looking very pleasing in the season of Sawan. My heart is beating because of the dark clouds and then the rain. In the rainy season, the dialects of Peacock Papiha, Dadur look very pleasant. It's a very beautiful time.


Are Rama Rimjhim Padat Fuhar Is Bhojpuri (Sawan Lok Geet Kajari) Lyrics Sung By Dr. Nidhi Niranjan. This Song Is Written By ------- While Music Composed By Hem Singh. It’s Released By Swaranjali Production.

फिल्म :  सावन लोक गीत (Album: Sawan Lok Geet)

गायक :  डॉ निधि निरंजन (Singer: Dr. Nidhi Niranjan)

गीतकार: ----------(Lyrics: ---------)

संगीतकार: हेम सिंह (Music: Hem Singh)

लेबल: स्वरांजलि प्रोडक्शन (Lable: Swaranjali Production)


अरे रामा रिमझिम पड़त फुहार

जियरवा हुलसे रे हरि

अरे रामा रिमझिम पड़त फुहार

जियरवा हुलसे रे हरि


रामा घिर आई कारी बदरिया हो 

रामा घिर आई कारी बदरिया

रामा घिर आई कारी बदरिया हो 

रामा घिर आई कारी बदरिया

रामा घिर आई कारी बदरिया हो 

रामा घिर आई कारी बदरिया

सखी चमकन लागी बिजुरिया रामा

अरे रामा चले पुरबैया बयार

जियरवा हुलसे रे हरि

अरे रामा रिमझिम पड़त फुहार

जियरवा हुलसे रे हरि


नदिया तीर दादुर बोले हो

नदिया तीर दादुर बोले हो

नदिया तीर दादुर बोल 

सखियां सन झूला झूले रामा

हरे रामा गावे कजरी मल्हार 

जियरवा हुलसे रे हरि

अरे रामा रिमझिम पड़त फुहार

जियरवा हुलसे रे हरि


बरखा रितु आई सुहावनी हो 

बरखा रितु आई सुहावनी

बरखा रितु आई सुहावनी हो 

बरखा रितु आई सुहावनी

सबके ही मन को लुभावन रामा

अरे मोरवा करत पुकार 

जियरवा हुलसे रे हरि

अरे रामा रिमझिम पड़त फुहार

जियरवा हुलसे रे हरि

जियरवा हुलसे रे हरि

जियरवा हुलसे रे हरि

जियरवा हुलसे रे हरि

जियरवा हुलसे रे हरि

इस गीत का भाव है:  एक महिला सावन की रूत को देखकर रीझ जाती है। वह अपने सहेली से कहती है कि हे सखी सावन के ऋतु में बारिश की फुहार बहुत ही मनभावन लग रही है। काले काले बादलों के घिर आने और फिर बारिश से मेरा हृदय धड़क रहा है। बारिश की ऋतु में मोर पपीहा, दादुर की बोलियां बहुत ही सुहावनी लगती हैं। बहुत ही सुंदर मनभावन समय है। 




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