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ए गनेस के मम्मी पाव भर Ae Ganesh Ke Mummy Paav Bhar ---Bhojpuri (kanwar) Shrawan Lyrics

It is popular about Lord Shiva that he eats cannabis as food or remains cool by drinking ganja. Regarding this matter, in this song, the lyr...




It is popular about Lord Shiva that he eats cannabis as food or remains cool by drinking ganja. Regarding this matter, in this song, the lyricist has said through Parvati ji that Shiva ji is saying, O Goddess, I do not want sweets, khova, cream etc. Give me a piece of cannabis, that is my food. I do not like different types of dishes. On this Parvatiji says that you do not know how long I have to work hard to grind a ball of cannabis and how much it hurts. It is better if you eat sweets etc. I will no longer grind cannabis. Shivji says that it is okay to drink cannabis, not the right ganja. It doesn't take much effort. So Gauri says that leave all this intoxication, now I am not going to do anything. You will be served only dishes for dinner.


फिल्म :  ए गणेश के मम्मी (Album: Ae Ganesh Babua)

गायक : विनय बिहारी, कल्पना ( Singer: Kalpna & Vinay Bihari)

गीतकार: विनय बिहारी ( Lyrics: Vinay Bihari)

संगीतकार: धनंजय मिश्रा ( Music: Dhananjay Mishra)

लेबल: टी सीरीज ( Lable: T-Series)



ए गणेश के मम्मी

नाहीं खायम खोवा मेवा नाहीं मिसरी मलाई

नाहीं खायम खोवा मेवा नाहीं मिसरी मलाई

नाहीं खायम खोवा मेवा नाहीं मिसरी मलाई

नाहीं खायम खोवा मेवा नाहीं मिसरी मलाई

धइले बानी हो त पीस के लिया द ना

ए गनेस के मम्मी ए गनेस के मम्मी

पाव भर भांग खिया द ना

ए गनेस के मम्मी

बस पाव भर भांग खिया द ना

राउर भंगिया बा ढेर पीसत पीसत होला देर

हो राउर भंगिया बा ढेर पीसत पीसत होला देर

राउर भंगिया बा ढेर पीसत पीसत होला देर

राउर भंगिया बा ढेर पीसत पीसत होला देर

दुख होला बड़ी दुखवा सहाई ना

ए गनेस के पापा ए गनेस के पापा

हमसे इ भांग पिसाई ना

ए गनेस के पापा

हमसे इ भांग पिसाई ना

ए गनेस के मम्मी

बस पाव भर भांग खिया द ना


नाहीं खायम खोवा मलाई मिसरी 

नाहीं चितवा से भंगिया के स्वाद बिसरी

नाहीं खायम खोवा मलाई मिसरी 

नाहीं चितवा से भंगिया के स्वाद बिसरी

सुन बतिया हमार इ न भावे जेवनार

हमरा सामने से जल्दी हटा द ना

ए गनेस के मम्मी ए गनेस के मम्मी

बस पाव भर भांग खिया द ना

ए गनेस के पापा

हमसे इ भांग पिसाई ना

ए गनेस के पापा

हमसे इ भांग पिसाई ना


चाहे राजी होई चाहे होई नाराज

भंगिया पीसब न सुनली राउआ न आज

हो चाहे राजी होई चाहे होई नाराज

भंगिया पीसब न सुनली राउआ न आज

जानि करि आंख लाल

करि हमरा पर खयाल

भांगी छोड़ी या तो नशा में नशाई ना

ए गनेस के पापा

ए गनेस के पापा

हमसे इ भांग पिसाई ना

ए गनेस के पापा

हमसे इ भांग पिसाई ना

ए गनेश के मम्मी

बस पाव भर भांग खिया द ना




अच्छा भंगिया न देबू त गंाजा मल

काम मेहनत के कम बा इ जल्दी क ल

अच्छा भंगिया न देबू त गंाजा मल

काम मेहनत के कम बा इ जल्दी क ल

खोज कहां बा चिलम लेके आब मारी दम

बस चार चिलम भर के थमा द ना

ए गनेस के मम्मी ए गनेस के मम्मी

छोड़ भांग तू गंाजा पिया द ना

ए गनेस के पापा

हमसे इ भांग पिसाई ना


नाहीं खायम खोवा मेवा नाहीं मिसरी मलाई

नाहीं खायम खोवा मेवा नाहीं मिसरी मलाई

नाहीं खायम खोवा मेवा नाहीं मिसरी मलाई

नाहीं खायम खोवा मेवा नाहीं मिसरी मलाई

धइले बानी हो त पीस के लिया द ना

ए गनेस के मम्मी ए गनेस के मम्मी

पाव भर भांग खिया द ना

ए गनेस के मम्मी

बस पाव भर भांग खिया द ना

राउर भंगिया बा ढेर पीसत पीसत होला देर

हो राउर भंगिया बा ढेर पीसत पीसत होला देर

राउर भंगिया बा ढेर पीसत पीसत होला देर

राउर भंगिया बा ढेर पीसत पीसत होला देर

दुख होला बड़ी दुखवा सहाई ना

ए गनेस के पापा ए गनेस के पापा

हमसे इ भांग पिसाई ना

ए गनेस के पापा

हमसे इ भांग पिसाई ना

ए गनेस के मम्मी

बस पाव भर भांग खिया द ना

ए गनेस के पापा

हमसे इ भांग पिसाई ना

ए गनेस के मम्मी

बस पाव भर भांग खिया द ना



भगवान शिव के बारे में यह प्रचलित है कि वह खाना के रूप में भांग खाते हैं या फिर गांजा पीकर मस्त बने रहते हैं। इसी बात को लेकर इस गीत में गीतकार ने पार्वती जी के माध्यम से कहा है कि शिव जी कह रहे हैं हे देवी मुझे मिठाई, खोवा, मलाई आदि नहीं चाहिए। मुझे तो एक गोला भांग का पीस के दे दो वही मेरा भोजन है। मुझे तरह तरह के व्यंजन पसंद नहीं हैं। इस पर पार्वतीजी कहती हैं कि एक गोला भांग पीसने के लिए मुझे कतनी देर मेहनत करनी पड़ती है और कितना दुख होता है वह आप नहीं जानते। इससे अच्छा है कि आप मिठाई वगैरह खाएं। मैं अब भांग नहीं पीसूंगी। शिवजी कहते हैं कि ठीक है भांग न सही गांजा ही पिला दो। उसमें ज्यादा मेहनत नहीं है। तो गौरी कहती हैं कि ये नशा सब छोड़िए अब मैं कुछ भी नहीं करने वाली हूं। आपको खाने में व्यंजन ही परोसी जाएगी। 







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