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सैंया मिला मोर हलका भगवान कसम Saiyan Mila Mor Halka Bhagwan Kasam

In this song the poet complains of a drunken or careless husband. He wants to say through the wife that the wife is saying that my husba...



In this song the poet complains of a drunken or careless husband. He wants to say through the wife that the wife is saying that my husband does not respect me in any way. I swear by God that I do not see any good in my husband. He neither eats meat nor does he eat milk, curd, ghee. Eats only chutney and galka (cannabis ball). Whenever I warn him about it, he either avoids it or refuses it. My youth is coming to an end and I haven't got any married life till now. I can only hope now that God will give her wisdom. Otherwise I will die by burning someday.


गायक : छोटू छलिया (Singer: Chhotu Chhaliya)
एल्बम : पारपंरिक, भोजपुरी, हास्य

सैंया मिला मोर हलका भगवान कसम
सैंया मिला मोर हलका भगवान कसम
सैंया मिला मोर हलका भगवान कसम
सैंया मिला मोर हलका भगवान कसम
ना चले वो सेनल्का भगवान कसम
ना चले वो सेनल्का भगवान कसम
सैंया मिला मोर हलका भगवान कसम

मछरी मुर्गा ऊ कबहु न खावे
दूध, दही, घी तऽ मानही न भावे,
मछरी मुर्गा ऊ कबहु न खावे
दूध, दही, घी तऽ मानही न भावे,
चाटे चटनी औ गलका भगवान कसम
चाटे चटनी औ गलका भगवान कसम
सैंया मिलल मोर हलका भगवान कसम

बड़े जतन से जन ओके बोलाई
ऊ दिखाई दिए गलवा से लगाई
बड़े जतन से जन ओके जगाई
ऊ दिखाई दिए गलवा से लगाई
बतिया टाल दिए गलका भगवान् कसम
बतिया टाल दिए गलका भगवान् कसम
सैंया मिला मोर हलका भगवान कसम

बीती जाए हमरी जवनियां
सूखा जाए देहिया के पनिया
बीती जाए रे हमरी जवनियां
सूखा जाए  रे देहिया के पनियां
जोवनवा जाए ढलका भगवान कसम
जोवनवा जाए ढलका भगवान कसम
सैंया मिला मोर हलका भगवान कसम

लागवले बनी हम तऽ असरा
बतिया बूझे ला सिफऱ् दिवसरा
लागवले बनी हम तऽ असरा
बतिया बूझे ला सिफऱ् दिवसरा
कहियो दहन होई होलिका भगवान कसम
कहियो दहन होई होलिका भगवान कसम
सैंया मिला मोर हलका भगवान कसम

सैंया मिला मोर हलका भगवान कसम
सैंया मिला मोर हलका भगवान कसम
सैंया मिला मोर हलका भगवान कसम
न चले वो सेनाल्का भगवान कसम
न चले वो सेनाल्का भगवान कसम
सैंया मिला मोर हलका भगवान कसम
सैंया मिला मोर हलका भगवान कसम
न चले वो सेनाल्का भगवान कसम
सैंया मिला मोर हलका भगवान कसम


इस गीत में कवि ने एक शराबी या लापरवाह पति की शिकायत की है। वह पत्नी के माध्यम से कहना चाहता है कि पत्नी कह रही है कि मेरा पति मुझे किसी भी तरह इज्जत नहीं देता। मैं भगवान की शपथ खाकर कहती हूं कि मुझे मेरे पति में कोई भी अच्छाई नजर नहीं आती है। वह न तो कभी मांसाहार करता है और ना ही दूध, दही, धी ही खाता है। सिर्फ चटनी और गलका(भांग का गोला) खाता है। जब भी उसे इससे सचेत करती हूं तो वह उसे टाल जाता है या मना कर देता है। मेरी जवानी खत्म होती जा रही है और मुझे अभी तक कोई वैवाहिक जीवन का सुख नहीं मिला है। मैं तो सिर्फ अब आशा ही कर सकती हूं कि भगवान उसे बुद्धि दे। नहीं तो किसी दिन जल कर मर जाऊंगी। 






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