फिल्म : नदिया के पार
बबुआ हो बबुआ पहुना हो पहुना
ओ...........................
जब तक पूरे ना हो फेरे सात -२
तब तक दुलहिन नहीं दूल्हा की
तब तक दुलहिन नहीं बबुआ की
ना... जब तक पूरे ना हो .....
अबहीं तो बबुआ पहली ही भंवर पड़ी है
अब ही तो पहुना दिल्ली दूर बड़ी है
हो.. पहली ही भंवर पड़ी है
दिल्ली दूर बड़ी है
करनी होगी तपश्या सारी रात
जब तक ....................
तब तक .........................
जैसे जैसे भंवर पड़े मन अंगना को छोड़े
एक एक भांवर नाता अनजनों से जोड़े
..मन घर अंगना को छोड़े
....अनजानों से नाता जोड़े
सुख की बदरी आंसु की बरसात
जब तक पूरे ......................
तब तक ..........................
बबुआ हो बबुआ पहुना हो पहुना
सात फेरे करो बबुआ भरो सात बचन भी-२
ऐसे कन्या ऐसे अर्पण कर दे तन भी मन भी-२
उठो उठो बबुनी देखो देखो धु्रवतारा
धु्रवतारे सा हो अमर सुहाग तिहारा
हो...देखो देखो धु्रवतारा
अमर सुहार तिहारा
सातों फेरे सात जन्मों का साथ
जब तक पूरे ना हो..........
तब तक .......................
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