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कांची निदिया जगाय दियो हमके Kanchi Nindiya Jagay Diyo Humke

An atmosphere of laughter is created between the husband and wife when they go to sleep at night. The lyricist is telling this humor in this...






An atmosphere of laughter is created between the husband and wife when they go to sleep at night. The lyricist is telling this humor in this song. When the husband goes to the wife, she gets angry with him and says that how good I was sleeping in which I was lost in a dream while living in a palace, you came and woke me up. Husband says that you had asked me to come in the night. Now don't be angry like this, we have come to talk to you about some love. On this the wife says that how did I get a stupid husband who is coming in the night giving such temptations and spoiling my sleep.



फिल्म :  सुहाग बिंदिया

गायक :  जोगिंदर सिंह अलबेला और दिलराज कौर

गीतकार: विसुधा नन्द

संगीतकार: श्याम सागर


कौन--- के ह ----हम


कांची निदिया जगाय दियो हमके

कांची निदिया जगाय दियो हमके

हम त सुतल रही लाले पलंगिया 

जोड़ल सपनवा के तार हाय हाय 

काहे रतिया बुलाय लियो हमके

काहे रतिया बुलाय लियो हमके

हमके बुलाय के रे जिया ललचाये के

सोई गइलु पैंया पसार आय हाय

कांची निदिया जगाय दियो हमके

काहे रतिया बुलाय लियो हमके



हो माई रे माई करम मोर फुटल 

कैसन चोंधर से नाता हाय जुटल

बाबू हो बाबू धरम मोर छुटल

त्रिया चरित्र बजर बनि फूटल

सोचे न बूझे ला मनवा के बतिया

हाय सोचे न बूझे ला मनवा के बतिया

जड़ जाला एड़ी से कपार हाय हाय

काहे रतिया बुलाय लियो हमके

कांची निदिया जगाय दियो हमके


होय रुस ना हमसे तनिक बतियाव

बहियां में आव नजर त मिलाव

हूं हूं बतिया बनाव न मोहे फुसलाव

देख ए बाबू ना हमके फंसावा

माना कहनवा गढ़ाइब गहनवा

ऐ माना कहनवा गढ़ाइब गहनवा

सांची पीरितया हमार हेने आवा

कांची निदिया जगाय दियो हमके

काहे रतिया बुलाय लियो हमके


हूं झ़ुमका झ़ुलनिया के लालच दिखावे

एइसन फरेबी से रामे बचावे

नखरा देखावे ई हमके सतावे

रहि रहि देहिया में अगिया लगावे

हट देख रे देख इ माटी के माधो

हाय देख रे देख इ माटी के माधो

कइसन रंगल सियार हाय हाय

काहे रतिया बुलाय लियो हमके

काहे रतिया बुलाय लियो हमके

हमके बुलाय के रे जिया ललचाये के

सोई गइलु टंगरी पसार आय हाय

कांची निदिया जगाय दियो हमके

कांची निदिया जगाय दियो हमके

हम त सुतल रही लाले पलंगिया 

जोड़ल सपनवा के तार हाय हाय 

काहे रतिया बुलाय लियो हमके

कांची निदिया जगाय दियो हमके

पति पत्नी के बीच एक हास परिहास का वातावरण बनता है जब वह रात में सोने को जाते हैं। इसी हास परिहास को गीतकार इस गीत में बता रहा है। पति जब पत्नी के पास जाता है तो वह उससे नाराज होकर कहती है कि कितनी अच्छी नींद आ रही थी जिसमें मैं एक राजमहल में रहते हुए सपने में खोई हुई थी तुमने आकर मुझे जगा दिया। पति कहता है कि तुम्हीं तो मुझे रात में आने को कहा था। अब तुम ऐसे नाराज मत हो , हम तो तुमसे कुछ प्रेम की बातें करने को आए हैं। तुम्हारी जितनी मांगें हैं जैसे गहने बनवाना हो या अन्य कोई फरमाइश वह मैं पूरी कर दूंगा। इस पर पत्नी कहती है कि मुझे कैसे बेवकूफ पति मिला जो रात में आकर इस तरह के प्रलोभन दे रहा है और मेरी निंदिया खराब कर रहा है। 



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